बाल वाहिनी पथ संचलन: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का अनुशासन और राष्ट्रप्रेम का प्रदर्शन
सरवानिया महाराज, 1 जनवरी 2025:
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) द्वारा आज बाल वाहिनी पथ संचलन का आयोजन शहर में किया गया, जिसमें 6 से 14 वर्ष तक के 100 से अधिक बाल स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य युवा पीढ़ी में अनुशासन, राष्ट्रप्रेम और भारतीय संस्कृति के महत्व को जागरूक करना था। पथ संचलन ने शहरवासियों को एकता और सामूहिक अनुशासन का सशक्त संदेश दिया।
बाल स्वयंसेवकों का अनुशासन और राष्ट्रप्रेम का प्रदर्शन
बाल स्वयंसेवकों ने संघ की पारंपरिक वेशभूषा में कदमताल मिलाते हुए पथ संचलन किया। वे अपनी छोटी उम्र के बावजूद एकजुट होकर उत्साह से भरे हुए थे, और उनके मुंह से उठते जयघोष ने पूरे वातावरण को राष्ट्रभक्ति से भर दिया। वे “भारत माता की जय” और “वंदे मातरम्” जैसे उद्घोषों के साथ अपने कदम बढ़ा रहे थे। शहर के विभिन्न हिस्सों में जब वे पथ संचलन कर रहे थे, तब शहरवासी उनका जगह-जगह फूलों से स्वागत कर रहे थे, जिससे बाल स्वयंसेवकों में नई ऊर्जा का संचार हुआ। इस प्रकार, कार्यक्रम ने भारतीय संस्कृति, राष्ट्रप्रेम और युवा पीढ़ी में भारतीयता की भावना को मजबूती से स्थान दिया।
पथ संचलन के मुख्य मार्ग और पड़ाव
बाल वाहिनी का पथ संचलन पंचमुखी बालाजी मंदिर से शुरू हुआ और इसके बाद यह शहर के प्रमुख क्षेत्रों जैसे बस स्टैंड, मिडिल स्कूल, जावी चौराहा, पिपलीचोक, सदर बाजार, हवेली चौक, कुम्हार मोहल्ला और प्राचीन शिव मंदिर तक गया। इस पथ संचलन ने इन क्षेत्रों में विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच अनुशासन और भारतीय संस्कृति की महत्ता को फैलाया। विभिन्न चौराहों और मोहल्लों से गुजरते हुए, बाल स्वयंसेवकों ने दिखाया कि वे न केवल अपने संगठन के प्रति बल्कि अपने देश के प्रति भी अत्यधिक वफादार हैं। उनके अनुशासन, एकता और सामूहिक प्रयासों ने उनके जोश को और भी ऊंचा कर दिया।
बौद्धिक प्रमुख ने प्रेरणादायक प्रसंग साझा किए
कार्यक्रम की शुरुआत बौद्धिक प्रमुख पुष्कर गिरी और सहकार्यवाह संदीप राठौर द्वारा भारत माता के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन और पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम की आधिकारिक शुरुआत हुई और साथ ही बाल स्वयंसेवकों में एक नये उत्साह का संचार हुआ। इसके बाद बौद्धिक प्रमुख ने अपने बौद्धिक सत्र में महान वीर बालक ध्रुव, भक्त प्रहलाद और गुरु गोविंद सिंह के चारों साहिबजादों के बलिदान के विषय में विस्तार से बताया। इन प्रेरणादायक घटनाओं को साझा करते हुए उन्होंने बाल स्वयंसेवकों से अपील की कि वे इन महान व्यक्तित्वों से प्रेरणा लें और अपने जीवन में उन गुणों को अपनाएं जो उनके बलिदान और साहस के प्रतीक हैं।
बालकों को दिए गए प्रेरणादायक संदेश
पुष्कर गिरी ने बाल स्वयंसेवकों को देशभक्ति, चरित्र निर्माण, माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करने और भारतीय संस्कृति को अपनाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बताया कि संघ की शाखाओं में बालकों को अच्छे संस्कारों की शिक्षा दी जाती है और यह शिक्षा उनके जीवन को दिशा देती है। उन्होंने यह भी कहा कि संघ का उद्देश्य केवल देशभक्ति को बढ़ावा देना नहीं है, बल्कि यह बच्चों को सही आचार-व्यवहार, अनुशासन और सामूहिकता की भावना से भी अवगत कराता है।
अनुशासन और एकता का परिचय
बौद्धिक प्रमुख ने पथ संचलन के दौरान यह भी बताया कि संघ के अनुशासन का पालन करने से बाल स्वयंसेवकों में एकता और सामूहिकता की भावना उत्पन्न होती है। सभी स्वयंसेवक एक ही गणवेश में कदम से कदम मिलाकर चलते हैं, जो समाज में सामूहिक एकता का मजबूत उदाहरण प्रस्तुत करता है। उन्होंने कहा, “संघ का उद्देश्य सभी धर्मों का सम्मान करना है और हर व्यक्ति को सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए प्रेरित करना है।”
संघ की शाखाओं की भूमिका
संघ की शाखाओं में बालकों को जीवन के महत्वपूर्ण मूल्य और आदर्शों की शिक्षा दी जाती है, जो न केवल उन्हें अच्छे नागरिक बनाता है, बल्कि समाज में उनके योगदान को भी बढ़ाता है। इस पथ संचलन ने संघ के इन उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया और यह दर्शाया कि संघ का प्रभाव केवल बड़े संगठनों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह छोटी आयु के बच्चों के जीवन में भी गहरी छाप छोड़ता है।
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