सीतामऊ। तहसील के शक्करखेड़ी गांव में एक युवती द्वारा परिजनों की इच्छा के विरुद्ध प्रेम विवाह करने पर नाराज परिजनों ने गोरनी का कार्यक्रम आयोजित किया। इतना ही नहीं, इस कार्यक्रम की शोक पत्रिका भी सोशल मीडिया पर वायरल कर दी गई, जिससे यह मामला क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गया है।
यह घटना सीतामऊ तहसील में कुछ दिनों पहले दलावदा गांव में हुई ऐसी ही एक घटना के बाद सामने आई है। वहां भी एक युवती के घर से भागकर शादी करने पर परिजनों ने गोरनी कार्यक्रम आयोजित किया था।
गोरनी कार्यक्रम और शोक पत्रिका जैसी प्रथाएं परंपरा और परिजनों के गहरे आक्रोश को दर्शाती हैं। हालांकि, यह परंपरा कितनी उचित है, यह बहस का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि परिजनों को अपने बच्चों के फैसलों का सम्मान करना चाहिए, जबकि परंपराओं के नाम पर इस तरह के कृत्य समाज में वैचारिक मतभेद पैदा कर सकते हैं।
इस घटना ने सामाजिक परंपराओं और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के बीच संतुलन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या परिजनों का यह आक्रोश उचित है, या यह बदलते समय के साथ सामाजिक सोच में बदलाव की आवश्यकता को दर्शाता है? यह विषय अब क्षेत्रीय बहस का केंद्र बन चुका है।