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September 20, 2025 11:07 pm

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में 4.88 किमी सुरंग: ब्रेकथ्रू ऐतिहासिक माइलस्टोन

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना में 4.88 किमी सुरंग: ब्रेकथ्रू ऐतिहासिक माइलस्टोन

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के 21 किमी लंबे भूमिगत खंड में एक अहम उपलब्धि दर्ज हुई है। घनसोली और शिलफाटा के बीच लगभग 4.88 किमी लंबी सुरंग का ब्रेकथ्रू सफलतापूर्वक पूरा हो गया है। यह सुरंग उस 21 किमी लंबे अंडरग्राउंड सेक्शन का हिस्सा है, जिसमें लगभग 7 किमी का समुद्री (अंडरसी) हिस्सा भी शामिल है। यह चरण परियोजना के तकनीकी और समयबद्ध लक्ष्यों के लिए बेहद निर्णायक माना जा रहा है।


क्या हुआ — घनसोली–शिलफाटा सुरंग का टेक्निकल विवरण

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना के घनसोली और शिलफाटा के बीच 4.881 किमी लंबी यह सुरंग New Austrian Tunnelling Method (NATM) के जरिए बनाई गई है। मई 2024 में तीन फेस से खुदाई शुरू की गई थी और काम की गति बढ़ाने के लिए ADIT (Additionally Driven Intermediate Tunnel) जैसी रणनीतियों का उपयोग हुआ। 21 किमी के कुल भूमिगत खंड में 16 किमी TBM (Tunnel Boring Machine) से और 5 किमी NATM से खोदा जा रहा है। घनसोली–शिलफाटा का यह हिस्सा NATM खंड का सबसे लंबा भाग है।


महत्व और तकनीकी जटिलताएँ

यह सुरंग तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण इलाके से होकर गुजरती है, जिसमें तटीय क्षेत्र और पानी के बीच स्थित अंडरसी खंड शामिल है। NATM निर्माण में आधुनिक सेंसर जैसे पीज़ोमीटर, इनक्लिनोमीटर, स्ट्रेन गेज और ग्राउंड सेटलमेंट मार्कर लगाए गए हैं ताकि भूमि धंसने या आसपास की संरचनाओं पर असर की निगरानी हो सके। निर्माण में कंट्रोल्ड ब्लास्टिंग, उन्नत ड्रेनेज सिस्टम और शॉर्ट-टर्म सपोर्ट तकनीक का प्रयोग किया गया। इससे नजदीकी आवासीय इलाकों और समुद्री पारिस्थितिकी पर न्यूनतम प्रभाव पड़ा।


मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना

परियोजना की समग्र प्रगति

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना कुल 508 किमी लंबी है। रिपोर्ट्स के अनुसार लगभग 320–321 किमी वायडक्ट (Viaduct) का निर्माण पूरा हो चुका है। स्टेशन भवनों, नदी पुलों और अन्य संरचनाओं का कार्य भी तेज़ी से चल रहा है। यह संकेत है कि निर्माण कार्य भूमिगत और ऊपरी दोनों हिस्सों में तेज गति से आगे बढ़ रहा है।


परिचालन शेड्यूल और लक्ष्य

परियोजना का पहला परिचालन खंड सूरत से बिलिमोरा (Surat–Bilimora) तक 2027 तक शुरू होने की योजना है। शुरुआती चरण में ट्रेनें हर 30 मिनट में चलेंगी, बाद में 20 मिनट और भविष्य में मांग के अनुसार 10 मिनट तक की आवृत्ति पर सेवाएँ उपलब्ध होंगी। पहले गुजरात का हिस्सा शुरू किया जाएगा और उसके बाद मुंबई तक विस्तार होगा।


तकनीक और रोलिंग स्टॉक — E10 शिंकान्सेन और प्रशिक्षण

यह परियोजना जापान की शिंकान्सेन तकनीक पर आधारित है। ट्रेनें, सिग्नलिंग और सुरक्षा मानक जापान के सहयोग से अपनाए जा रहे हैं। नवीनतम E10 शिंकान्सेन को भारत के संचालन के लिए चुना गया है, जबकि शुरुआती चरण में E5 सीरीज का परीक्षण भी विचाराधीन था। भारतीय तकनीकी टीमें और परिचालन कर्मी जापान में प्रशिक्षण ले रहे हैं। उन्नत सिमुलेटर और HSR ट्रेनिंग सेंटर की मदद से सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित की जा रही है।


किराया, मध्यम वर्ग और सामाजिक पहुंच

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना को मध्यम वर्ग के लिए भी सुलभ बनाने पर जोर दिया गया है। टिकट संरचना इस तरह बनाई जा रही है कि यह केवल विलासिता का साधन न रहकर एक व्यापक जनसुलभ परिवहन बने। हालांकि अंतिम किराए की घोषणा परिचालन पूर्व चरण में होगी, लेकिन अधिकारियों का दावा है कि यह ‘किफायती और उपभोक्ता-अनुकूल’ होगी।


अर्थव्यवस्था पर गुणक प्रभाव

इस परियोजना से न केवल यात्रा समय घटेगा बल्कि यह क्षेत्रीय और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को भी सशक्त करेगी। तीन स्तर पर इसका असर होगा:

  1. मुंबई–सूरत–वडोदरा–अहमदाबाद गलियारे में बाजारों का एकीकरण।
  2. औद्योगिक निवेश में वृद्धि और आपूर्ति श्रृंखलाओं की दक्षता।
  3. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और रोजगार सृजन।
    यह सब मिलकर लाखों रोजगार, नए व्यावसायिक केंद्र और रियल एस्टेट में निवेश को आकर्षित करेगा।

पर्यावरण और सुरक्षा

परियोजना में पर्यावरण संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया है। समुद्री पारिस्थितिकी की सुरक्षा, स्थानीय संरचनाओं पर निगरानी और शोर-ध्वनि नियंत्रण उपाय लागू किए गए हैं। सुरक्षा मानकों के अंतर्गत उन्नत सिग्नलिंग और सुरक्षा प्रणालियों का उपयोग किया जाएगा।


स्थानीय प्रभाव — रोजगार और सामाजिक प्रतिक्रिया

मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना से प्रभावित जिलों में रोजगार और सहायक उद्योगों के अवसर बढ़े हैं। स्टेशनों के आसपास होटल, रिटेल और सप्लाई-चेन सेवाओं का विस्तार हो रहा है। भूमि अधिग्रहण और निर्माण संबंधी चुनौतियों के समाधान के लिए पुनर्वास और मुआवजा योजनाएँ लागू की गई हैं। पारदर्शिता और जनता से संवाद इस परियोजना की सामाजिक स्वीकार्यता सुनिश्चित कर रहे हैं।


जोखिम और चुनौतियाँ

इतने बड़े प्रोजेक्ट में आपूर्ति श्रृंखला की देरी, उपकरणों की उपलब्धता और भू-तकनीकी चुनौतियाँ आ सकती हैं। प्रशासनिक स्तर पर इन जोखिमों को कम करने के लिए वैकल्पिक रणनीतियाँ अपनाई जा रही हैं।


भविष्य का रोडमैप

परियोजना के दीर्घकालिक लक्ष्यों में चरणबद्ध परिचालन, स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग (मेक इन इंडिया), उन्नत सिग्नलिंग नेटवर्क और तकनीकी प्रशिक्षण शामिल हैं। जापान के सहयोग से भारत में हाई-स्पीड रेल का एक मजबूत आधार तैयार किया जा रहा है, जो भविष्य की परियोजनाओं का मॉडल बनेगा।


मुंबई-अहमदाबाद बुलेट ट्रेन परियोजना अब केवल रेलवे प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह आर्थिक, तकनीकी और सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन चुकी है। घनसोली–शिलफाटा सुरंग का हालिया 4.88 किमी ब्रेकथ्रू भारत की इंजीनियरिंग क्षमता और समयबद्धता का प्रमाण है। यदि नियोजित समयसीमा के अनुसार काम पूरा होता है तो यह परियोजना देश के आधुनिक बुनियादी ढाँचे की दिशा में ऐतिहासिक बदलाव साबित होगी।

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