
नई दिल्ली | 16 अप्रैल 2025
सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को वक्फ संशोधन कानून 2025 को लेकर करीब दो घंटे तक अहम सुनवाई हुई। इस नए कानून के खिलाफ देशभर से 100 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, जिन पर आज बेंच ने गंभीरता से चर्चा की। हालांकि, कोर्ट ने फिलहाल कानून पर कोई अंतरिम रोक नहीं लगाई है, लेकिन केंद्र सरकार से विस्तृत जवाब मांगा है।

🧾 कानून के खिलाफ उठे सवाल, 10 याचिकाएं मुख्य फोकस में
कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, राजीव धवन जैसे वरिष्ठ वकीलों ने याचिकाकर्ताओं की ओर से दलीलें रखीं। प्रमुख याचिकाएं AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्ला खान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद, और राजद सांसद मनोज झा की ओर से दायर की गई हैं। इन याचिकाओं में नए कानून को संविधान के अनुच्छेद 26 का उल्लंघन बताया गया है।
🔎 सुनवाई की मुख्य बातें
1. गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में एंट्री पर आपत्ति
कपिल सिब्बल ने कहा, “वक्फ बोर्ड में अब हिंदुओं को भी शामिल किया जा सकता है, जबकि यह धार्मिक स्वायत्तता का उल्लंघन है।” इस पर CJI जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र से सवाल किया कि “क्या केंद्र हिंदू धार्मिक ट्रस्टों में मुसलमानों को जगह देने को तैयार है?”
2. ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान खत्म करने पर सवाल
नए कानून में ‘वक्फ बाय यूजर’ को मान्यता नहीं दी गई है। इस प्रावधान के तहत वे संपत्तियाँ भी वक्फ मानी जाती थीं, जिनका वर्षों से धार्मिक उपयोग हो रहा हो, भले ही उनके पास कोई सेल डीड न हो। कोर्ट ने पूछा, “14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदों को कैसे रजिस्टर करेंगे, जिनके पास आज कोई दस्तावेज नहीं है?”
3. रजिस्ट्रेशन की अनिवार्यता पर बहस
SG तुषार मेहता ने बताया कि वक्फ का रजिस्ट्रेशन 1995 से ही अनिवार्य है। लेकिन सिब्बल ने कहा कि 300 साल पुरानी संपत्तियों से वक्फ डीड की मांग करना अव्यवहारिक है और इसके चलते मुतवल्ली को जेल तक जाना पड़ सकता है।
📜 सुप्रीम कोर्ट के कुछ तीखे सवाल
- क्या मुसलमानों को भी हिंदू ट्रस्टों का हिस्सा बनाया जाएगा?
- बिना रजिस्ट्रेशन के सदियों पुरानी मस्जिदों को वक्फ संपत्ति कैसे माना जाएगा?
- क्या वक्फ संपत्ति के विवादों का निपटारा केवल सरकारी अफसर करेगा?
⚖️ सिब्बल की दलीलें: “धार्मिक अधिकारों का हनन हो रहा है”
कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा:
“अगर मुझे वक्फ बनाना है, तो मुझे यह साबित करना होगा कि मैं 5 साल से मुसलमान हूं। अगर मैं जन्म से मुस्लिम हूं तो यह कैसे साबित करूं? यह धर्म में दखलंदाजी है।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि कानून के तहत अब बिना वक्फ डीड के वक्फ नहीं बनाया जा सकता, जबकि इस्लाम में यह जरूरी नहीं है। साथ ही उन्होंने कहा, “इस्लाम में संपत्ति की विरासत मौत के बाद लागू होती है, लेकिन सरकार पहले ही हस्तक्षेप कर रही है।”
📌 वक्फ कानून की पृष्ठभूमि
- 1954: पहला वक्फ एक्ट लागू
- 1995: संशोधित वक्फ कानून आया
- 2013: नए बदलावों के साथ संशोधन
- 4 अप्रैल 2025: संसद से वक्फ संशोधन बिल पास
- 5 अप्रैल 2025: राष्ट्रपति की मंजूरी
- 8 अप्रैल 2025: कानून लागू
📢 विरोध के सुर: ‘वक्फ बचाओ अभियान’
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने कानून के विरोध में 87 दिन का राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू किया है।
इसके तहत:
- 1 करोड़ हस्ताक्षर PM को भेजे जाएंगे।
- 11 अप्रैल से 7 जुलाई तक चलने वाला अभियान।
- अगले चरण की रणनीति जल्द घोषित होगी।
🏛️ वक्फ क्या है?
‘वक्फ’ एक इस्लामिक परंपरा है, जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धार्मिक या परोपकारी कार्यों के लिए स्थायी रूप से समर्पित करता है।
वक्फ संपत्तियों का उपयोग केवल उस उद्देश्य के लिए किया जा सकता है जिसके लिए उसे समर्पित किया गया हो। इन संपत्तियों को न बेचा जा सकता है, न किसी अन्य उपयोग में लाया जा सकता है।
📊 भारत में वक्फ की स्थिति
- रेलवे और सेना के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा जमीन।
- देशभर में वक्फ बोर्ड के अंतर्गत लाखों एकड़ जमीन, मस्जिदें, मदरसे, कब्रिस्तान और यतीमखाने हैं।
- कई वक्फ संपत्तियों पर कब्जे और विवाद भी जारी हैं।
👩⚖️ अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर अगली सुनवाई गुरुवार, 17 अप्रैल को दोपहर 2 बजे होगी। बेंच में CJI संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन शामिल हैं।
📍 निष्कर्ष:
वक्फ संशोधन कानून 2025 पर सुप्रीम कोर्ट की यह सुनवाई देश की धार्मिक संस्थाओं की स्वायत्तता, संवैधानिक अधिकारों और धर्मनिरपेक्षता की व्याख्या से जुड़ी सबसे अहम बहस बन गई है। अगली सुनवाई में कोर्ट के रुख और केंद्र के जवाब से तस्वीर और साफ होगी।
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