माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान रूस के संबंध में चर्चा होना सामान्य बात है। भारत और रूस के बीच एक पुराना और मजबूत दोस्ताना संबंध है। वहीं, अमेरिका और रूस के बीच दुश्मनी का इतिहास देखने पर 100 साल का समय बित चुका है। इस प्रकार, जो देश रूस के करीबी बनता है, वह अपने आप ही अमेरिका का दुश्मन बन जाता है। इसके बावजूद, भारत ने अमेरिका के विरोध के बावजूद रूस के साथ S-400 एयर डिफेंस प्रणाली की डील की है। इसके अलावा, भारत रूस से कच्चे तेल की खरीदारी भी सस्ते दामों पर कर रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान इससे संबंधित सवाल पूछे गए हैं, और इस पर व्हाइट हाउस ने प्रतिक्रिया दी है।
S-400 मिसाइल सिस्टम एक हवाई हमले की स्थिति में दुश्मन जहाज और रॉकेट को हवा में ही मार गिराने की क्षमता रखता है। इतिहास के आधार पर, अमेरिका अपने संबंध में रूस के पास ब्लैक
लिस्टिंग कानून CAATSA (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) को लागू कर देता है, जो रूस से संबंधित व रक्षा सौदों पर लागू होता है। लेकिन भारत को CAATSA के तहत से छूट दी गई है। पेंटागन ने स्पष्ट किया है कि भारत को CAATSA से छूट देने पर अमेरिका को ही फायदा होगा।
पेंटागन की उप-प्रेस सचिव सबरीना सिंह ने बताया, “अमेरिका नहीं चाहता कि भारत की सुरक्षा में कोई कमी हो। हम अपने साझेदारों को रूस से लेन-देन से बचने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह हमने तुर्की के अलावा भारत और कुछ अन्य देशों के साथ भी जारी रखा है। विशेष बात यह है कि भारत के S-400 की खरीद पर तुर्की के मामले से इसे तुलना करना सही नहीं है, क्योंकि दोनों मामले अलग-अलग हैं। तुर्की नेटो का हिस्सा है।”
सबरीना सिंह ने आगे कहा, “मेरा मानना है कि भारत और तुर्की में बहुत अंतर है। जब हम भारत के बारे में बात करते हैं, तो हम उनके हथियारों के विविधीकरण और उनके साथ एकीकृत होने की क्षमता पर भरोस
ा रखते हैं। वहीं, तुर्की के साथ ऐसा नहीं है। हम मोदी की अमेरिका यात्रा का स्वागत करते हैं। दो सप्ताह पहले हमारे सचिव ऑस्टिन ने भारत का दौरा किया और वहां अपने समकक्ष से मुलाकात की थी, तब इस पर जोर दिया गया था कि भारत के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाएंगे।”